ज़रा सोचिए, दुनिया में सब कुछ हो सकता है, लेकिन किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एस एस राजामौली की फिल्म को कोई ट्रोल भी कर सकता है!
एसएसएमबी 29 (महेश बाबू और राजामौली)—इंडियन सिनेमा की सबसे महंगी फिल्म, जिसका बजट उतना है जितना कलेक्शन करके दूसरी फिल्में इतिहास रच देती हैं। कास्टिंग लंबी-चौड़ी है, कैमियो इतने हैं कि उंगलियों पर गिन नहीं पाओगे। सीधा हिसाब है: इस फिल्म को ₹3000 करोड़ क्लब की शुरुआत करनी है, तभी राजामौली को 'पास' बोला जाएगा।
और इसी स्पेशल वीक की शुरुआत में, यानी 'राजामौली फेस्टिवल' के पहले दिन, उनकी फिल्म के मेन विलेन कैरेक्टर 'पृथ्वीराज' का पहला पोस्टर आया, लेकिन जो रिस्पॉन्स पब्लिक का मिला है, वह तो टोटली आउट ऑफ सिलेबस है!
जनता का रिएक्शन: "यह क्या है?" "इतना अजीबोगरीब डिज़ाइन?" "क्या यह सच में ₹1000 करोड़ बजट की फिल्म का विलेन दिख रहा है?"
इंडियन ऑडियंस को एकदम सदमा लग गया है कि अब लोग राजामौली पर भी आँख बंद करके भरोसा नहीं कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर मीम्स की बारिश हो रही है, उन्हें नीचे गिराने की कोशिश हो रही है।
🤔 पर क्या राजामौली सच में चूक गए?
फैंस भले ही काउंटर कर रहे हों और 15 नवंबर तक इंतजार करने की सलाह दे रहे हों, लेकिन सवाल यह है: क्या राजामौली को खुद नहीं पता होगा कि ऐसे पोस्टर पर लोगों का रिएक्शन कैसा होगा? फिर भी यही पोस्टर क्यों चुना गया?
जवाब आपके सवाल में ही है!
यह जो मैं और आप फिल्म की बात कर रहे हैं—यह बात कैसे होती अगर पोस्टर बाकी मूवीज की तरह एकदम 'बेस्ट' और नॉर्मल चुना गया होता?
ज़ूम इन करके देखिए: कुर्सी और बॉडीगार्ड्स का राज!
अगर आप ध्यान से देखेंगे तो पृथ्वीराज से ज़्यादा ज़रूरी चीज़ उनके पीछे दिखाई देगी—उनके पीछे खड़े हुए इतने सारे बॉडीगार्ड टाइप के लोग!
सोचिए: एक ऐसे आदमी से क्यों डर रहे हैं, जो अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो सकता (व्हीलचेयर पर है)?
यहीं पर राजामौली अपना सबसे बड़ा गेम खेलेंगे! पब्लिक को ₹100 का नोट दिखाकर, ₹500 वाली फिल्म बनाएंगे।
🌟 पोस्टर के पीछे की 'संजीवनी बूटी' थ्योरी
ऐसी ख़बरें हैं कि फिल्म में पृथ्वीराज एक साइको साइंटिस्ट का रोल प्ले कर रहे हैं, जिनके पास दुनिया के बेस्ट डॉक्टर्स की टीम है, जिनका एक ही मिशन है—उनको कुर्सी से खड़ा करना। जब सब फेल हो जाता है, तब सिर्फ एक रास्ता सामने आता है:
एक ऐसी जादुई चीज़ जो इंसान को सिर्फ़ उसके पैर नहीं लौटाएगी, बल्कि जीवन भर के लिए 'अमर' कर जाएगी—'संजीवनी बूटी'!
रामायण का वो हिस्सा जो आज तक लोगों को फैसिनेट करता है, उस पर राजामौली अपनी फिल्म दिखा रहे हैं।
इस पोस्टर का उस संजीवनी बूटी से सीधा कनेक्शन जुड़ता है। एक ऐसा आदमी जिसके पास अंधा पैसा है, लेकिन वो पैसा उसको चला नहीं सकता, तब संजीवनी बूटी उसकी ज़िन्दगी में आती है, जिसको पाने के लिए वो सारी हदें पार कर जाएगा।
लेकिन उसके रास्ते में कोई ऐसा आके खड़ा हो जाएगा जो रामायण से लेकर आज तक उस पहाड़ की रक्षा करता है (संभवतः महेश बाबू का किरदार)।
अब बोलिए, इस पोस्टर को देखने का नज़रिया थोड़ा बदल सा नहीं गया?
🚀 राजामौली की अक्ल पर शक नहीं!
यह तो सिर्फ़ हमारा एक बड़ा तुक्का है, लेकिन जब ओरिजिनल स्टोरी के साथ इस पोस्टर का लुक रिवील होगा, तो ट्रोल करने वाले भी फैन हो जाएंगे!
जैसे स्पाइडरमैन में किसी आम आदमी को देखकर कौन ही बोलेगा कि वह एक सुपर हीरो को मौत के मुँह तक ले जा सकता है? लेकिन कहानी में दम हो तो पब्लिक को 'दिखने' वाला असली रीज़न नहीं चाहिए।
"बाज की नज़र, चीते की चाल और राजामौली की अक्ल पर शक नहीं करना चाहिए।"
जो आज मीम मटेरियल है, कल इंडियन सिनेमा का सबसे आइकॉनिक पोस्टर होगा। Don't Judge a Book By Its Cover!
वैसे फिल्म का टाइटल 'वाराणसी' ऑलमोस्ट कन्फर्म है, लेकिन 15 नवंबर को ऑफिशियल हो जाएगा। देखते हैं इस पोस्टर के बाद राजामौली के दिमाग से बाहर आने वाला अगला नंबर किसका आएगा!
आप भी दो शब्द लिख के जाइए कमेंट्स में इस पोस्टर के बारे में। अगले साल लौट के देखेंगे कौन कितना सही था, कौन कितना गलत! टेक केयर, बाय-बाय!
आप 15 नवंबर को आने वाले SSMB 29 के टीज़र/अनाउंसमेंट इवेंट के लिए अपडेट जानना चाहेंगे?







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